मानसश्री
गोपाल राजू
लाल किताब के लेखक के अनुसार बहुत
ही सरल सा उपाय दिया गया है कि विभिन्न ग्रहों को लाल किताब की पत्री में विभिन्न भावों
में कैसे पहुँचाया जाए। इसका सबसे बड़ा लाभ यह मिलता है कि बलहीन ग्रह को भी किसी अनुकूल
भाव में पहुँचाकर उससे वांछित फल की प्राप्ति की जा सकती है। लगती है न बहुत विचित्र
सी यह बात कि किसी ग्रह को भाव विशेष में कैसे पहुँचाया जा सकता है।
लाल किताब के रचयिता पं0 रूप चन्द जोशी ने अपनी
चर्चित पुस्तक लाल किताब में छोटे-छोटे उपायों एवं टोटको द्वारा यह सम्भव कर दिया था।
इस तथ्य को आज ज्योतिष जगत का प्रत्येक लाल किताब को मानने वाला विद्यार्थी व्यवहार
में लाता देखा जा सकता है।
ग्रहों को विभिन्न भावों में पहुँचाने के उपाय
संक्षिप्त में लाल किताब के जिज्ञासु पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहा हूँ -
जिस ग्रह को लग्न में पहुँचाना है उससे सम्बन्धित
वस्तु चुन लें और उस ग्रह के प्रिय रंग वाले धागे में अपने गले में धारण कर लें। अगर
धागे में पहनने में मन न हो तो सोने, चांदी अथवा अष्टधातु आदि
की चेन में भी उसको पहन सकते हैं। उत्तम यही होगा कि धातु भी ग्रह से सम्बन्धित ही
चुनें।
जिस ग्रह को दूसरे भाव में पहुँचाना है तो उस
ग्रह से सम्बन्धित वस्तुएँ किसी भी धर्म स्थल में दान स्वरूप दे दें।
जिस ग्रह को तीसरे स्थान में पहुँचाना है उस ग्रह
से सम्बन्धित रत्न, धातु, अंगूठी अथवा पैन्डेन्ट आदि
के रूप में शरीर में धारण कर लें।
जिस ग्रह को चौथे घर में पहुँचाना है उससे सम्बन्धित
वस्तुएँ बहते हुए पानी में प्रवाहित कर दें।
जिस ग्रह को पांचवे भाव में स्थापित करना है उस
ग्रह से सम्बन्धित वस्तुएँ विद्यालय, शिक्षा संस्थान, पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों आदि में वितरित कर दें।
जिस ग्रह को छठे भाव में पहुँचाना है उसकी सम्बन्धित
वस्तुऐं बहते हुए पानी में छोड़ दें।
जिस ग्रह को सांतवे स्थान में लाना है उस ग्रह
की वस्तुएं वीराने में कहीं धरती में दबा दें।
जिस ग्रह को आठवें भाव में पहुँचाना है उस से
सम्बन्धित वस्तुऐं कहीं वीराने में अथवा किसी शमशान में दबा दें।
जिस ग्रह को नवें घर में लाना है उससे सम्बन्धित
वस्तुएं किसी धर्म स्थान अथवा किसी मन्दिर में दान स्वरूप दे दें।
जिस ग्रह को दसवें घर में पहुँचाना है उस ग्रह
से सम्बन्धित भोज्य पदार्थ बुजुर्गों को खिला दें जो अभोज्य पदार्थ हों उनको कही दबा
दें।
जिस ग्रह को ग्यारहवें स्थान में लाना है उस ग्रह
की वस्तुएं धर्म स्थल में दान स्वरूप दे दें।
जिस ग्रह को बारहवें भाव में स्थापित करना है
उससे सम्बन्धित कोई मनपसंद वस्तु अपने घर, भवन, दुकान आदि में स्थापित कर लें।
सूर्य - तांबा, गेहूँ, माणिक्य, तांबे के पात्र,
शुद्ध घी, सोना, लाल वस्त्र,
लाल कमल अथवा पुष्प, लाल रंग के खिलौने आदि। सूर्य
के लिए लाल रंग प्रयोग में लायें।
चन्द्र
- दूध, चावल, मोती, चांदी, चांदी का पात्र, मिश्री,
शंख, सीप, शुद्ध घी,
दही, सफेद वस्त्र अथवा सफेद कमल का फूल आदि। चन्द्र
के लिए दूध जैसा सफेद रंग प्रयोग कर सकते हैं ।
मुंगा - मसूर, और मूंग की दाल, मुंगा, लाल वस्त्र,
लाल कमल अथवा अन्य लाल रंग के पुष्प, गाय अथवा
गाय के खिलौने तथा रक्त चंदन आदि। मुंगे के लिए लाल रंग प्रयोग में लायें।
बुध - साबुत मूंग की दाल, हीरा और पन्ना, पीतल का दीप अथवा पात्र, शुद्ध घी, पीले पुष्प, सोना,
हरे वस्त्र, शहद, गोरोचन
आदि। बुध के लिए हरा रंग प्रयोग करें।
गुरू - चने की दाल, सोना, पुखराज, कांसे का पात्र,
शुद्ध घी, कपूर, हल्दी,
पीली सरसों, फल, केला आदि।
गुरू के लिए पीला रंग प्रयोग कर सकते हैं ।
शुक्र - मोती, शुद्ध घी, दही, कपूर, चावल, सरसों का तेल, मिश्री,
सफेद वस्त्र, मक्खन, चांदी
का पात्र, सफेद पुष्प, सफेद चंदन,
इत्र, शक्कर के खिलौने आदि। शुक्र के लिए दूध जैसा
सफेद रंग प्रयोग करें।
शनि - चमड़ा, लोहा, उड़द की दाल, नीलम,
छाता, हवन सामग्री, कुलथ
की दाल, काला नमक, काला कपड़ा, सुरमा, काजल, भैंस अथवा भैंस के
खिलौने, गुड़, काले पुष्प आदि। शनि के लिए
काल अथवा नीला रंग प्रयोग करें।
राहु - स्टील के बर्तन, सरसों, नीलम, गोमद, लोहे की कील, घोड़े के खिलौने, गुड़,
नीले पुष्प, चमड़े के जूते, छाता, लंवग, उड़द की काली दाल,
सरसों का तेल, सीसा आदि। राहु के लिए सफेद अथवा
काला रंग प्रयोग कर सकते हैं।
केतु - तिल, सहसुनिया, सरसों, रांगा,
स्टील के पात्र, खट्टे फल, हवन सामग्री, बकरे के खिलौने, सुरमा,
काले वस्त्र तथा गुड़ आदि। केतु के लिए काला रंग प्रयोग करें।
विकल्प - यदि मंहगे रत्न अथवा उपरत्न
लेना सम्भव न हो तो उनके स्थान पर उन रत्नों के रंग जैसे सस्ते अक़ीक भी प्रयोग में
लाये जा सकते हैं ।
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