स्वयं बनायें तिलस्मी अंगूठियाँ, तांत्रिक मुद्रिकाएँ, चमत्कारी छल्ले, कड़...


गोपाल राजू की पुस्तक, '' सरलतम धनदायक उपाय'' का संक्षिप्त सार-संक्षेप
धनदायक एवं प्रभावशाली एक प्रयोग को सर्वप्रथम लेख के माध्यम से दे रहा हूँ। यदि धन की कामना है तो एक बार यह प्रयोग अवश्य करके देखें।
शुक्ल पक्ष की प्रतिपक्ष को शुक्र की होरा में अपनी अनामिका उंगली की नाप का एक छल्ला लें। अच्छा हो यह छल्ला विशुद्ध चांदी को पीट कर बनाया गया हो, अग्नि में तपाकर नहीं।  इसको गंगाजल, दूध, शहद, गोघृत, गोमूत्र आदि से पवित्र कर लें। अब घर अथवा किसी अन्य स्थान में कोई ऐसा केले का वृक्ष देखें जो नियमित पूजा जाता हो। अनेक मन्दिरों में ऐसे केले के पेड़ सहजता से मिल जाएंगे। इस वृक्ष के तने में चाकू से थोड़ा सा चीरकर लिया हुआ छल्ला फंसा दें। यह इतना अन्दर रखना है कि बाहर से दिखाई दे। इस चिरे हुए भाग पर हल्दी से स्वास्तिक बनाएं। यथा भाव तथा यथा श्रद्धा जैसी भी पूजा-अर्चना बन सकती है, कर लें। अन्त में वृक्ष में जल से सिंचन करें। समस्त प्रक्रिया शुक्र होरा काल में ही सम्पन्न करना है, इसका विशेष ध्यान रखें। ठीक इसी प्रकार से वृक्ष की पूजा निरन्तर पूर्णिमा तक नित्य दोहराते रहें। वृक्ष का सिंचन अवश्य कर दिया करें। पूर्णिमा वाले दिन छल्ला निकालकर साफ करके धारण कर लें। आप चाहें तो इस छल्ले के स्थान पर चांदी का टुकड़ा भी प्रयोग में ला सकते हैं और पूजाकाल में ही उसको किसी सुनार से पिटवाकर उंगली के आकार का छल्ला बनवा सकते हैं। यदि कोई रत्न धारण करने का मन हैं तो वह भी इस छल्लें में पूर्णिमा काल में ही जड़वा कर धारण कर सकते हैं। यह और भी त्वरित रूप से प्रभावशाली सिद्ध होगा।
धन के अतिरिक्त जिस किसी भी कार्य की पूर्ति के उद्देश्य से आप छल्ला तैयार कर रहे हैं उसके अनुरूप बस केवल आपको विशुद्ध होरा का चुनाव करना है। किस कार्य के लिए कौन सी होरा लें, अपने अनुरूप छल्ला तैयार करने के लिए उसका सूक्ष्म विवरण भी दे रहा हूँ। उद्देश्य की पूर्ति के अनुरूप सहजता से उस निश्चित होरा काल में आप यह छल्ला तदनुसार तैयार करवा सकें। इस छल्ले को धारण करके ग्रहों की विभिन्न होराओं में निम्नानुसार कार्य यदि करते हैं तो अनुरूप फल की पूर्ण होने की संभावानाएं निश्चित रूप से बढ़ जाती हैं।  
सूर्य की होरा में -
मित्रता, कार्यालय में प्रार्थना पत्र, किसी कार्य का पंजीकरण, उच्चाधिकारियों से साक्षात्कार, पत्रकारिता, किसी आवश्यक पत्र पर हस्ताक्षर, नौकरी का प्रारम्भ, लम्बी यात्रा का श्रीगणेश, समस्त धार्मिक कार्य, धन का लेन-देन तथा सट्टा आदि।
चन्द्र की होरा में -
स्त्रियों से सम्बन्धित विषय, जल अथवा वायु यात्रा, पेड़-पौधे,  खोज अथवा शोध कार्य, किसी नए कार्य  का प्रारम्भ करना, साक्षात्कार तथा प्रार्थना पत्र आदि।
 मंगल की होरा में -
लम्बी यात्रा, न्याय सम्बन्धी, विवाह प्रस्ताव, जोखिम से भरे समस्त कार्य , विपरीत लिंग से साक्षात्कार, लेन-देन, खेत तथा भूमि सम्बन्धी कार्य तथा मोल-भाव करना आदि।
बुध की होरा में -
साहित्यिक कार्य, पत्रकारिता, मित्रता, बौद्धिक कार्य, व्यापार अथवा नौकरी के लिए साक्षात्कार, भाषण तैयार करना, मकान दुकानें आदि की नींव, सट्टा, शल्य चिकित्सा, नलकूप लगाना तथा मकान प्रारम्भ करवाना आदि।
गुरु की होरा में -
वाणिज्य-व्यापार कर्म, धन का लेन-देन, उत्तरदायित्वपूर्ण कार्य, बैंक सम्बन्धी कार्य, उच्च अधिकारियों अथवा बड़े लोगों से मिलना अथवा उनसे मित्रता, ऋण, प्रार्थना तथा समस्त धार्मिक कर्म, जमीन घर आदि का क्रय-विक्रय, सुरक्षा के उपाय तथा वस्तुओं का संचय आदि।
शुक्र की होरा में -
प्रत्येक कार्य के लिए शुभ, व्यापार, सट्टा, प्यार, विवाह प्रस्ताव, यात्रा, आवयक समझौते, किसी बात की किसी से सलाह लेना, साहित्यिक कार्य, ललित कलाओं का शुभारम्भ, क्रय-विक्रय तथा रुपयों का लेन-देन आदि।
शनि की होरा में -
यह व्यावहारिक कार्यों के लिए शुभ नहीं मानी गयी है। जहाँ तक हो, अपने नित्य कर्मों में उसका उपयोग करें। हाँ तन्त्र में इसका विशेष फल है। अनेकों प्रयोगों के लिए मैंने शनि की होराओं को चुना है।



होरा के सूक्ष्म ज्ञान के लिए गोपाल राजू का लेख भी देख सकते हैं :
lucky rings, fortunate rings,




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