अकेला ग्रह और दोष निवारण उपाय



रूड़की – २४७ ६६७ (उत्तराखंड)

Pt. Roop Chand Joshi


    लाल किताब के अनुसार अकेले ग्रह का महत्त्वपूर्ण स्थान है। लाल किताब की जन्मपत्री में यदि कोई ग्रह किसी भाव में अकेला स्थित है, दूसरे उसको कोई अन्य ग्रह न देखता हो और वह स्वयं भी किसी ग्रह द्वारा न देखा जा रहा हो तो ऐसे ग्रह को अकेला ग्रह कहते हैं। ऐसे ग्रह शुभ भावों में शुभ और अशुभ भावों में स्थित होकर अशुभ फल देते हैं। यदि ग्रह पत्री में कहीं अशुभ भाव में स्थित है तो उसके अशुभ प्रभाव से लाल किताब के सरल से उपायों द्वारा बचा ही नहीं जा सकता बल्कि अशुभता के स्थान पर शुभता का भी फल पाया जा सकता है। कोई भी इन उपायों अथवा टोटकों से स्वयं भी पत्री में अकेला ग्रह तलाशकर तद्नुसार शुभत्व को पा सकता है।
सूर्य
    पत्री में सूर्य यदि 6, 7 अथवा 10 वें भाव में स्थित हो। अकेला हो, कोई अन्य ग्रह न तो उसको देखता हो न ही वह किसी अन्य ग्रह से दृष्टि सम्बन्ध बना रहा हो तो ऐसे में कहीं बहते हुए पानी में 8 दिन अथवा 45 दिन तक लगातार गुड़ प्रवाहित कर दें।

चन्द्र
    अगर अकेला ग्रह चन्द्र लाल किताब पत्रों में 6, 8, 10, 11 अथवा 12 वे भाव में स्थित हो तो 8 अथवा 45 दिनों तक नित्य अपने सिरहाने किसी एक पात्र को जल से भरकर रखें। प्रातः उठते ही सर्वप्रथम निःशब्द यह किसी कांटेदार वृक्ष अथवा किसी अन्य वृक्ष की जड़ में छोड़ दिया करें।
मंगल
    मंगल ग्रह यदि अकेला हो और 4 अथवा 8 वें भाव में स्थित हो तो 8 अथवा 45 दिन बहते हुए पानी में गुड़ और तिल की बनी हुई कुछ रेवड़ियाँ प्रवाहित कर दिया करें।
बुध
    अकेला ग्रह बुध यदि 3, 8, 9, 10, 11 अथवा 12 वें भाव में कहीं स्थित हो तो इसको अशुभ प्रभाव से बचने के लिए तांबे के कुछ सिक्के जल प्रवाह कर दें। सिक्के उपलब्ध न हों तो तांबे की चादर से सिक्के के आकार के टुकड़े भी कटवा कर प्रयोग कर सकते हैं।
गुरु
    यदि अकेला ग्रह गुरु 2, 4, 5 अथवा 7 वें भाव में हो तो केसर को जल में घोल कर नाभि में लगाएं तथा केसर का किसी न किसी रूप में 8 तथा 43 दिन सेवन करें।
शुक्र
    शुक्र ग्रह यदि 1, 6 अथवा 9 वें भाव में स्थित हो तो गौशाला में गायों को चारा खिलाया करें।
शनि
    अकेला ग्रह शनि यदि 1, 4, 5 अथवा 6ठें भाव में स्थित हो तब किसी एक पात्र में सरसों का तेल लेकर उसमें अपनी छाया को निहार कर पात्र सहित दान कर दिया करें।
राहु
    अकेला राहु ग्रह यदि 1, 2, 5, 7, 8, 9, 10, 11 अथवा 12वें भाव में स्थित हो तो बहते हुए पानी में कोयला प्रवाहित किया करें तथा मूली का दान करें।
केतु
    केतु यदि 3, 4, 5, 6 अथवा 8वें भाव में स्थित हो तो कुत्ते को रोटी खिलाया करें।

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