बटुक भैरव ऋण मुक्ति उपाय

मानसश्री गोपाल राजू
पूर्व वैज्ञानिक
रुड़की - 247 667(उत्तराखण्ड)





   
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    शिवागमसार में बटुक भैरव जी को प्रसन्न करने के लिए विस्तार से उपक्रम दिए हैं। धनदायक प्रयोगों में भैरव जी का एक सरल सा उपाय यहाँ लिख रहा हूँ शनिवार के दिन भैरव जी की मूर्ति पर सिन्दूर को तेल में मिलाकर चढ़ाने से अनेक सुखों की प्राप्ति होती हैं। ऋण से मुक्ति के लिए एक सरल सा प्रयोग आप भी परख कर देखें। 

 

    शनिवार के दिन अपनी लम्बाई के बराबर  21 कच्चे सूत की बत्तियाँ तिल के तेल के दीपकों में भैरव जी के सिद्ध मन्दिर में जलाकर भैरव जी के दाहिने हाथ की तरफ रखकर उनके सम्मुख काले रंग के आसन पर बैठ जायें। देव से ऋण मुक्ति की प्रार्थना कर रोकर तथा दीन-हीन बनकर निम्न आठ नाम आठ-आठ बार बोलकर अपना इष्ट कार्य बारम्बार दोहरायें। चण्ड, प्रचण्ड, ऊर्ध्वकेश, भीषण, अभीषण , व्योमकेश, व्योमबाहु और  व्योमव्यापक।

    प्ूाजाकाल में दीपक निरन्तर जलते रहें, इसका भी ध्यान रखें। आठ नाम बोलकर निम्न मंत्र की एक माला श्रद्धा से जप करें

'' ऊँ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणय कुरु बटुकाय ह्रीं ऊँ स्वाहा''

    जब स्वाहा बोलें तब भैरों जी पर सिंदूर मिश्रित तेल की एक बूंद अर्पित करें। पूजा की समाप्ति पर भी यदि दीपक जलता रहे तो उन्हें पूरी तरह से जल जाने दें। इस बीच निरन्तर 'ऊँ श्री बटुक भैरवाय नमः' मंत्र जपते रहें। दीपशिखा के शान्त होने के बाद उन्हें कहीं जल में विसर्जित  कर दें। कुछ सैकेण्ड बाद जल में थोड़ी सी स्प्रिट या शराब आदि कुछ छोड़ दें। शराब को जल में विसर्जित करने से पूर्व गुड़ तथा तिल का एक बकरा बनायें (जैसा भी टेढ़ा-मेढ़ा, छोटा-मोटा बन सके), दूब घास से उसका गला धड़ से अलग करें और देव को बलि स्वरूप जल में अर्पित कर दें और निःशब्द घर लौट आयें ।

   यह उपाय मात्र एक शनिवार को ही करना है। यदि प्रभाव में कहीं अल्पता लगे तो एक शनिवार छोड़कर अगले को यह उपाय पुनः दोहरा सकते हैं।

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